
[खास रिपोर्ट] मध्यकाल में जब शासकों द्वारा भारत में लोगो पर अत्याचार किया जा रहा था तो उस काल में हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए सैकड़ों चमत्कारिक सिद्ध, संतों और सूफी साधुओं का जन्म हुआ। इसके बाद भी हिन्दू और मुस्लिमों की एकता के लिए कई संतों का जन्म हुआ लेकिन सभी के एकता के प्रयास राजनीतिज्ञों ने असफल कर दिए।
मध्यकाल की भयानक तपिश और तमस के बीच भारत में ऐसे कुछ संत हुए जिन्होंने शांति की रोशनी फैलाकर घावों पर ठंडे पानी की पट्टी रखी। उन्होंने हिन्दू और मुसलमानों को सचाई समझाने का प्रयास किया और एकता को कायम रखने के लिए हरसंभव प्रयास किए। आओ जानते हैं ऐसे 7 संतों के बारे में जिन्होंने हिन्दू और मुसलमानों की एकता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया।1. झूलेलाल (लगभग 1007) : संत झूलेलाल ने ही सर्वप्रथम कहा था ‘ईश्वर-अल्लाह हिक आहे’ अर्थात ‘ईश्वर-अल्लाह एक हैं’। उनके नाम पर एक प्रसिद्ध भजन है, जो भारत और पाकिस्तान में गूंजता है… ‘दमादम मस्त कलंदर…चारई चराग तो दर बरन हमेशा, पंजवों मां बारण आई आं भला झूलेलालण… माताउन जी जोलियूं भरींदे न्याणियून जा कंदे भाग भला झूलेलालण… लाल मुहिंजी पत रखजंए भला झूलेलालण, सिंधुड़ीजा सेवण जा शखी शाहबाज कलंदर, दमादम मस्त कलंदर… शखी शाहबाज कलंदर… ओ लाल मेरे ओ लाल मेरे…।’
शताब्दियों पूर्व सिन्धु प्रदेश में मिर्ख शाह नाम का मुस्लिम राजा राज करता था। इस राजा के शासनकाल में सांस्कृतिक और जीवन-मूल्यों का कोई महत्व नहीं था। पूरा सिन्ध प्रदेश राजा के अत्याचारों से त्रस्त था। उन्हें कोई ऐसा मार्ग नहीं मिल रहा था जिससे वे इस क्रूर शासक के अत्याचारों से मुक्ति पा सकें। 2.सिद्ध वीर गोगादेव : सन् 1155 में गोगा जाहरवीर का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरु) चौहान वंश के राजपूत शासक जैबर (जेवरसिंह) की पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। जिस समय गोगाजी का जन्म हुआ उसी समय एक ब्राह्मण के घर नाहरसिंह वीर का जन्म हुआ। ठीक उसी समय एक हरिजन के घर भज्जू कोतवाल का जन्म हुआ और एक मेहतर के घर रत्नाजी मेहतर का जन्म हुआ। ये सभी गुरु गोरखनाथजी के शिष्य हुए। गोगाजी का नाम भी गुरु गोरखनाथजी के नाम के पहले अक्षर से ही रखा गया। यानी गुरु का गु और गोरख का गो यानी कि गुगो जिसे बाद में गोगाजी कहा जाने लगा। गोगाजी ने गुरु गोरखनाथजी से तंत्र की शिक्षा भी प्राप्त की थी।
3. ख्वाजा गरीब नवाज (1141) : ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का जन्म 1141 में ईरान के खुर्स्न प्रांत के संजर गांव में हुआ। आपके वालिद का नाम सैयद गियासुद्दीन हसन और वालिदा का नाम माह-ए-नूर था। विरासत में उन्हें एक पनचक्की और एक बाग मिला, जो उनकी गुजर-बसर के लिए पर्याप्त था, लेकिन किसी दिव्य पुरुष ने उन पर ऐसी कृपादृष्टि डाली कि उन्हें भौतिकता से विरक्ति हो गई तब उन्होंने बाग और चक्की बेचकर धन निर्धनों में बांट दिया और स्वयं ईश्वर की खोज में लग गए।
4. बाबा रामदेव (1352-1385) : ‘पीरों के पीर रामापीर, बाबाओं के बाबा रामदेव बाबा’ को सभी भक्त बाबारी कहते हैं। जहां भारत ने परमाणु विस्फोट किया था, वे वहां के शासक थे। हिन्दू उन्हें रामदेवजी और मुस्लिम उन्हें रामसा पीर कहते हैं। मध्यकाल में जब अरब, तुर्क और ईरान के मुस्लिम शासकों द्वारा भारत में हिन्दुओं पर अत्याचार कर उनका धर्मांतरण किया जा रहा था तो उस काल में हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए सैकड़ों चमत्कारिक सिद्ध, संतों और सूफी साधुओं का जन्म हुआ। उन्हीं में से एक हैं रामापीर।
5. कबीर : (जन्म- सन् 1398 काशी, मृत्यु- सन् 1518 मगहर) : संत कबीर का जन्म काशी के एक जुलाहे के घर हुआ था। पिता का नाम नीरु और माता का नाम नीमा था। इनकी 2 संतानें थीं- कमाल, कमाली। मगहर में 120 वर्ष की आयु में उन्होंने समाधि ले ली।
6. गुरु नानकदेवजी : गुरु नानकदेवजी ही थे जिन्होंने सबसे पहले कहा था- ‘सबका मालिक एक है… एक ओंकार सतिनाम।’ नानक साहिब का जन्म सन् 1469 की कार्तिक पूर्णिमा को तलवंडी (पंजाब) में हुआ। युगांरतकारी युगदृष्टा गुरुनानक का मिशन मानवतावादी था इसीलिए उन्होंने संपूर्ण सृष्टि में मजहबों, वर्णों, जातियों, वर्गों आदि से ऊपर उठकर ‘एक पिता एकस के हम बारिक’ का दिव्य संदेश दिया। वे कहते थे कि इस सृष्टि का रचयिता एक ईश्वर है। उस ईश्वर की निगाह में सब समान हैं।
7. शिर्डी सांईं बाबा (जन्म 1830, समाधि 1918) : बाबा की एकमात्र प्रामाणिक जीवन कथा ‘श्री सांईं सत्चरित’ है जिसे श्री अन्ना साहेब दाभोलकर ने सन् 1914 में लिपिबद्ध किया। ऐसा विश्वास किया जाता है कि सन् 1835 में महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गांव में सांईं बाबा का जन्म भुसारी परिवार में हुआ था। (सत्य सांईं बाबा ने बाबा का जन्म 27 सितंबर 1830 को पाथरी गांव में बताया है।
मैं मुस्लिम हूँ, तू हिन्दू है, है दोनों इंसान।
ला मैं तेरी गीता पढ़ लूँ, तू पढ़ ले मेरा कुरान।
अपने तो दिल में है दोस्त, बस एक ही अरमान।
एक थाली में खाना खाये सारा हिन्दुस्तान।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अल कुरैश वैलफेयर सोसाईटी