
Hapur। प्रदेश में हापुड़ सहित पश्चिमी उ०प्र० के अन्य सभी सीमावर्ती जनपदो में गोवंशीय एवं भैंस वंशीय पशुओं में घातक वायरल बीमारी लम्पी स्किन डिजीज का प्रकोप फैला हुआ है। इस बीमारी में पशुओं की त्वचा पर गांठनुमा फफोले व घांव हो जाते है, पशु को तेज बुखार बना रहता हैं एवं पशु चारा खाना बन्द कर देता है। गाभिन पशुओं में गर्भपात हो जाता है तथा पशु बांझपन के शिकार हो जाते है।
दुधारू पशुओं का दूध लगभग समाप्त हो जाता है। बीमारी 3 से 6 सप्ताह तक बनी रहती है तथा इलाज के बाद पूर्ण स्वस्थ होने में 3 से 4 माह का समय लगता है। यह बीमारी गाय-भैंसो के साथ-साथ घोड़े, गधे, खच्चर, ऊँट एवं हिरन प्रजाति के पशुओं को सर्वाधिक प्रभावित करती है मेले प्रर्दशनी में पशुओं के एक स्थान पर एकत्र होने से लक्षणविहीन किन्तु रोग के वाहक पशुओं के द्वारा यह बीमारी अन्य सभी संपर्क में आने वाले पशुओं में घातक रूप से फैलने की प्रबल सम्भावना है।
दिनांक 29.10.2022 से गढ़मुक्तेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा के किनारे राजकीय स्नान मेले का आयोजन किया जाना है। पूर्व में उक्त गंगा स्नान मेले के साथ-साथ मेले में अश्व प्रर्दशनी अश्व विपणन का कार्य भी होता रहा है। लेकिन इस वर्ष शासन से जारी दिशा निर्देशों तथा निदेशक पशुपालन विभाग उ०प्र० लखनऊ से दूरभाष पर प्राप्त मौखिक आदेश के क्रम में लम्पी स्किन डिजीज रोग के कारण कार्तिक मेले में अश्व प्रर्दशनी / विपणन मेले के आयोजन पर रोक लगायी गई है। अतः सभी अश्व प्रर्दशनी विपणन में लगे व्यापारियों आयोजकों पशु स्वामियों एवं गंगा स्नान हेतु आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की जाती है कि वे गंगा स्नान मेलें में किसी भी घोड़े गधे खच्चर गाय बैल व भैसों का ना लाये एवं किसी भी प्रकार की पशु प्रर्दशनी का आयोजन न करें।