[UP] आज बुलंदशहर में तैनात एक दारोगा की डेंगू से मौत हो गई. उनका इलाज लंबे समय से नोएडा के एक अस्पताल में चल रहा था. दरोगा की मौत के बाद उनके परिवार में मातम पसर गया. बता दें कि दारोगा सर्वेश यादव सपा सरकार के समय में काफी सुर्खियों में आए थे. ये पुलिस विभाग में अपनी निष्पक्ष छवि के लिए जाने जाते थे, जिन पर सपा सरकार में 2016 में सपा नेताओं ने ही हमला किया. जिसके बाद इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था।
जानकारी के मुताबिक, दारोगा सर्वेश यादव फिरोजाबाद के तिलकवर गांव के रहने थे और अपने परिवार के साथ मेरठ में कंकरखेड़ा रोड पर रह रहे थे. वह वर्तमान में बुलंदशहर जिले के औरंगाबाद थाने में तैनात थे. उनका इलाज नोएडा के एक अस्पताल में चल रहा था. दरोगा की मौत के बाद उनके परिवार में मातम पसर गया है. आइये आपको उस मामले के बारे में बताते हैं, जिस वजह से दारोगा साहब सुर्खियों में आए थे।
गौरतलब है कि, वो 22 फरवरी 2016 का दिन था. जब मेरठ में दिल्ली रोड पर टीपीनगर थाने की मंडी चौकी इंचार्ज सर्वेश यादव वाहनों की चेकिंग कर रहे थे. तभी सपा नेत्री संगीता राहुल के बेटे नितिन अपने दोस्त विकास के साथ शादी समारोह से वहां पहुंचे. जहां बैरियर लगे होने के चलते सपा नेत्री के बेटे नितिन की दरोगा से झड़प हो गई. इस दौरान दरोगा ने चालान काटने की बात कही. एक घंटे बाद सपा नेत्री संगीता राहुल अपने अन्य कार्यकर्ताओं के साथ वहां पहुंची. इसके बाद सपा कार्यकर्ताओं ने दरोगा पर हमला कर दिया।
भीड़ से बचाव करते हुए दरोगा थाने पहुंच गए वहां भी सपा कार्यकर्ता नहीं मानें और बेरहमी से हमला किया. जिसमें दरोगा सर्वेश का पैर टूट गया था. सपा नेताओं ने अपनी ही सरकार में गुंडई करते हुए दरोगा पर हमला बोला. यह मामला इतना तूल पकड़ गया कि रात में एसपी सिटी ओपी सिंह और एसएसपी डीसी दूबे को मौके पर पहुंचना पड़ा. खैर एसपी सिटी ने बवाल करने वाले सपा कार्यकर्ताओं पर लाठी बरसा दीं. लखनऊ तक मामला पहुंचा तो अधिकारी बैकफुट पर आ गए। दरोगा ने बंद कमरे में एसपी सिटी से कहा कि मुझे इंसाफ चाहिए, यह वर्दी सम्मान के लिए पहनी है. वर्दी का सम्मान नहीं बचा, इस विभाग में मुझे इंसाफ चाहिए।
रात 3 बजे तक एसएसपी भी थाने में मौजूद रहे. इसके बाद एसपी सिटी ने सपा नेताओं को कह दिया कि लखनऊ से सिफारिश लगवानी बंद कर दें, जो भी घटना में शामिल हैं, उन्हें जेल जाना होगा. एसपी सिटी ने रात में धारा 353,332, 332 और 147 का केस दर्ज कर लिया. इसके बाद हमलावरों को पुलिस ने जेल भेजा. इस मामले में कई बड़े नेताओं ने भी हस्तक्षेप किया लेकिन दारोगा ने आरोपियों को सजा दिलाई।