
[जीवन शैली] एक दिन एक सेठ अपनी पत्नी संग कार से एक दोस्त के यहां से लौट रहे थे बाहर काफी ठंड थी। दोनो वापस घर की और आ रहे थे तभी सड़क किनारे सेठ की नज़र पेड़ के नीचे पतली पुरानी फटी चिथड़ी चादर में लिपटे एक बूढ़े भिखारी पर पड़ी।
सेठ ने गाडी़ रोकी पत्नी ने सेठ को हैरानी से देखते हुए कहा क्या हुआ गाडी़ क्यों रोकी सेठ ने कहा वो देखो वहां बूढ़ा ठंड से कांप रहा है इसलिए गाडी़ रोकी ।सेठ अपनी पत्नी से बोले गाडी़ में जो कंबल पड़ा है उस कंबल को उस बेचारे को दे देते है इतना सुनते ही सेठ की पत्नी गुस्से से आग बबूल हो गई और कहने लगी कंबल इतना मंहगा कंबल इसको देंगे अरे वह उसे ओढेगा नहीं बल्की उसे बेच देगा ऐसे ही होते लोग सेठ मुस्कुराकर गाडी से उतरे और कंबल डिग्गी से निकाल कर उस बुजुर्ग को दे दिया। दोनों फ़िर घर की ओर चल पड़े ।
अगले दिन भी बड़े गजब की ठंड थी आज भी सेठ और सेठ की पत्नी एक पार्टी से लौट रहे थे तो अचानक पत्नी ने कहा चलिए। एक बार देखें कल रात वाले बूढ़े का क्या हाल है।
सेठ ने वहीं गाडी़ रोकी और जब देखा तो बूढ़ा भिखारी वही था मगर उसके पास वह कंबल नहीं था, वह अपनी वही पुरानी चादर ओढ़े लेटा था बीवी ने आँखे बड़ी करते हुए कहा देखा मैंने कहा था कि वो कंबल उसे मत दो इसने जरूर बेच दिया होगा। सेठ और सेठ की पत्नी कार से उतर कर उस बूढे के पास गये सेठ की पत्नी ने तंज कसते हुऐ पूछा क्यों बाबा कल रात वाला कंबल कहां है बेचकर नशे का सामान ले आये क्या।
इतना सुनते ही बुजुर्ग फकीर ने हाथ से इशारा किया जहां थोड़ी दूरी पर एक बूढ़ी औरत लेटी हुई थी जिसने वही कंबल ओढ़ा हुआ था बुजुर्ग बोला बेटा वह औरत पैरों से विकलांग है और उसके कपडे भी कहीं कहीं से फटे हुए है लोग भीख देते वक्त भी गंदी नजरों से देखते है ऊपर से इतनी ठंड मेरे पास कम से कम ये पुरानी चादर तो है, उसके पास कुछ नहीं था तो मैंने कंबल उसे दे दिया।सेठ की पत्नी हतप्रभ सी रह गयी भिकारी की बात सुनकर पत्नी की आँखो में आँसु आ गए बीवी ने धीरे से सेठ से बोला चलिए घर से एक कंबल और लाकर बाबा जी को भी दे देते हैं
यह उन लोगों को सबक है दुनिया में जो लोग कुछ दान देने से पहले इंसानियत को शर्मशार करते है इसलिए जितना हो सके जरूरतमंदों की मदद करें इंसानियत से बढ़कर कुछ भी नहीं है आप यह सोचकर चुप मत बैठिये कि नसेड़ी है सुबह बेचकर पी जायेगा वह कुछ भी करें फिलहाल वह ठंठ से कांप रहा है खुले आसमान में हैं इसलिये आप उसके कर्मों की चौकीदारी करने की बजाय उसे कंबल स्वेटर जैकेट देकर अपनी इंसानियत और जिम्मेदारी को पूरा करें।
[राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अब्दुल सलाम द्वारा लिखी गई कुछ जीवन शैली से जुड़ी पंक्तियां]
1. जो लोग अपनी सम्पत्ति रब के मार्ग में खर्च करते हैं उनका उदाहरण ऐसा है जैसे एक दाना हो जिससे सात बालियाँ पैदा हों हर बाली में सौ दाने हों।
2. जो लोग अपनी पूँजी रब के मार्ग में ख़र्च करते हैं फिर वह ख़र्च करने के बाद न तो एहसान जताते हैं और न कष्ट पहुँचाते हैं उनके लिए उनके पालनहार के पास बदला है। और उनके लिए न कोई भय है और न वह दुखी होंगे।
3. निस्सन्देह दान देने वाले मर्द और दान देने वाली महिलाएँ और वह लोग जिन्होंने रब के नाम पर खर्च किया तो उनके लिए सदैव कभी धन की कमी नही होगी बल्कि उस रब की तरफ से उनके लिए सम्मानित प्रतिदान है।
4. माल को थैली में बंद करके न रखना वरना रब भी अपने ख़ज़ाने में तुम्हारे लिए बंदिश लगा देगा। जहां तक हो सके लोगो की मदद करो जरूतमंद के काम आओ और गरीब बेसहारा लोगो पर जुल्म ना दहाओ।
चौधरी अब्दुल सलाम राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्र विकास संस्था ( रजिo)