मध्यप्रदेश

चल रही राम कथा के पांचवें दिवस में श्री राम वनवास का वर्णन किया गया

मध्य प्रदेश ब्यूरो रिपोर्ट उमेश सिंह राजपूत

[उमरिया] जिले के अंतर्गत ग्राम पंचायत धनवार में 29 जनवरी से 5 फरवरी तक चल रही श्री राम कथा ज्ञान कथा जहां वृंदावन धाम से पधारे हुए कथा वाचिका आराध्य दीदी जी द्वारा हजारों श्रद्धालुओं को प्रतिदिन संगीतमयी राम कथा ज्ञान एवं भगवान के चरित्र रूपी ज्ञान का भक्ति माय रसपान करा रहे हैं जिसमें आज राम वनवास भव्यता के ज्ञान रूपी चरित्र का वर्णन किए,IMG 20240203 WA0032 राजा दशरथ का एकमात्र सपना था कि वह अपने जेष्ठ पुत्र राम को अयोध्या नगरी का राजा बनाए। इसलिए राजा दशरथ ने अपने कुल गुरु वशिष्ठ से विमर्श करके राम का राज्याभिषेक निश्चित किया तभी राजा दशरथ की दूसरी पत्नी महारानी केकई की दासी मंथरा ने उनको उकसाया। मंथरा ने रानी केकई के मन में यह भ्रम पैदा किया कि राजा दशरथ उनके पुत्र भरत को ननिहाल भेज कर श्री राम को राजा बनाने के प्रयत्न कर रहे हैं। तब मंथरा ने कि वह राम की जगह अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनाए। तुम्हारे पास अभी भी समय है तुम चाहो तो राम की स्थान पर अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बना सकती हो। तब रानी केकई को राजा दशरथ द्वारा दिए गएIMG 20240203 WA0031 दो वरदान का स्मरण हो आया जो उन्होंने देवासुर संग्राम में रानी केकई को उनके युद्ध में साथ देने के लिए दिए थे। तब रानी केकई ने राजा दशरथ को बोला कि वह समय आने पर अपने दोनों वरदान उनसे मांग लेंगी। तब रानी केकई ने मंथरा के कुविचारों से भ्रमित होकर राजा दशरथ से अपने दोनो वर मांगती है जिसमें वह पहले वरदान में यह मांगती है कि राम को 14 वर्ष का वनवास दिया जाए। जिसमें राम 14 बरस तक वन में रहेगा और राज्य की किसी भी वस्तु का उपयोग नहीं कर सकेगा। दूसरे वचन में रानी केकई राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनाने की मांग करती है। रानी केकई के यह दोनों वचन सुनकर राजा दशरथ को सदमा लगता है और वह बेजुबान हो जाते है। जब राजा दशरथ के इस स्थिति का पता श्री राम को चलता है तो वह अपने पिता के पास जाकर उनके इस रवैया का कारण पूछते हैं। उस समय राजा दशरथ रानी केकई के भवन में ही होते हैं। बहुत देर तक जब राजा दशरथ कुछ बोल नहीं पाते तब रानी केकई ही श्री राम को अपने दोनों वचनों के बारे में बताती है। रानी केकई के दोनों वचन सुनकर श्रीराम सहर्ष उनके दोनो वचनों को स्वीकार करते है। IMG 20240203 WA0030अगले ही दिन जब राम के वनवास की खबर नगर में फैलती है तो पूरे नगर में बगावत जैसे स्वर फूटने लगते है। देवी सीता अपने पति श्रीराम के साथ वनवास पर जाने का निश्चय करती है। जब लक्ष्मण जी को यह सूचना मिलती है तो वह राजा दशरथ पर क्रोधित होते है लेकिन श्रीराम के समझाने पर वह शांत हो जाते है। लक्ष्मण अपने भैया राम से बहुत स्नेह करते थे इसलिए वे भी श्रीराम के साथ 14 वर्ष के वनवास पर निकल जाते है एवं तत्पश्चात राम कथा स्थल में कथा की आरती करते हुए पांचवें दिन की कथा समाप्ति की गई।

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